निर्माणाधीन इमारतों पर रोक — सिर्फ दिखावा!
राजधानी दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर बड़ा खेल जारी
स्पेशल न्यूज़ रिपोर्ट (SKR NEWS)
दिल्ली में प्रदूषण को रोकने और हवा में जहरीले कणों को कम करने के लिए एनजीटी और सरकार ने निर्माण कार्यों पर रोक के आदेश तो जारी कर दिए, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। राजधानी की सड़कों पर घूम कर देखें तो साफ पता चलता है कि ये रोक सिर्फ कागज़ों में है, ज़मीनी स्तर पर धड़ल्ले से निर्माण जारी है।
✔️ मेन रोड्स और कुछ हाईलाइटेड एरिया में दिखावे के लिए ग्रीन नेट और शेड लगा दिए गए हैं, ताकि कैमरे और निरीक्षण टीमों को "औपचारिकता" पूरी होती दिखे।
लेकिन जैसे ही गली- मोहल्लों में नज़र डालें — कंक्रीट मिक्सर चल रहे हैं, ईंटों के ट्रक धड़धड़ाते आ रहे हैं, रोड़ी-बदरपुर खुले में फैला दिया जाता है।
सबसे बड़ा सवाल: निगरानी कहाँ है?
स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम के जेई (जूनियर इंजीनियर) निर्माण रोकने के नाम पर डबल कमाई कर रहे हैं।
रात में, सुबह में, छुट्टियों में — हर समय बेशर्मी से काम जारी है।
जहां रोक लगनी चाहिए वहां खुला खेल, और जहां जांच हो सकती है वहां सिर्फ "सेटिंग" और दिखावा।
ईंटों से भरे ट्रक शहर में दिन-रात आते जाते दिख रहे हैं
बदरपुर की धूल अभी भी हवा में उड़ रही है
मालवाहक वाहनों पर निगरानी शून्य
यह रोक या कमाई का नया ठेका?
दिल्ली में प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण निर्माण की धूल बताई जाती है, लेकिन
रोक सिर्फ छोटे-बड़े ठेकेदारों को परेशान करने और पैसे बनाने का नया तरीका बन गई है।
सवाल यह नहीं कि आदेश है या नहीं…
सवाल यह है: आदेश लागू कौन कर रहा है?
अगर यही हाल रहा तो प्रदूषण पर किसी भी कार्रवाई का कोई मतलब नहीं बचेगा।
SKR NEWS की ग्राउंड रिपोर्ट बताती है कि स्थिति बेहद गंभीर है और प्रशासन सिर्फ दिखावे में लगा हुआ है।
अब जनता पूछ रही है —
क्या दिल्ली में निर्माण रोकना जरूरी है या “चांदी काटना” ही असली नियम है?