दिल्ली–NCR में बढ़ते ज़हरीले धुएँ पर सुप्रीम कोर्ट सख्त — AQI मापने वाले उपकरणों की सटीकता पर दिल्ली सरकार से शपथपत्र तलब
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दिल्ली–NCR की सांसें फँसी, सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख
AQI उपकरणों की क्षमता पर उठे सवाल, सरकार से पूछा – ‘कौन-से सेंसर काम कर रहे हैं?’**
नई दिल्ली।(SKR NEWS)
दिल्ली–NCR में लगातार बिगड़ते वायु गुणवत्ता स्तर पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बेहद गंभीर टिप्पणी करते हुए दिल्ली सरकार को AQI मापने वाले सभी उपकरणों की दक्षता और विश्वसनीयता पर विस्तृत हलफनामा देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ किया कि प्रदूषण के चरम स्तर पर सरकार और एजेंसियों के दावों पर अब केवल “बयान” नहीं, बल्कि “तकनीकी प्रमाण” मांगे जाएंगे।
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कोर्ट ने पूछा – आखिर कौन-सा उपकरण सही काम कर रहा है?
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान असिस्टेंट वायु गुणवत्ता नोडल अधिकारी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि
> “कई निगरानी स्टेशनों के आसपास AQI मॉनिटरिंग में भारी अंतर देखने को मिला है। कुछ स्थानों पर उपकरणों की क्षमता और उनकी सटीकता संदेह के घेरे में है।”
कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह सभी AQI मॉनिटरिंग मशीनों का डेटा, उनकी क्षमता, कैलिब्रेशन, और रोज़ाना की स्थिति का पूरा रिपोर्ट कार्ड पेश करे।
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निर्माण गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से अदालत का इंकार
सुनवाई में कोर्ट को बताया गया कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएँ तेज़ी से बढ़ रही हैं, जिससे दिल्ली–NCR का AQI ‘गंभीर’ श्रेणी में चला गया है।
सरकार की ओर से निर्माण कार्यों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया गया, लेकिन अदालत ने साफ कहा—
> “केवल निर्माण रोक देना समाधान नहीं है। पहले ये बताइए कि AQI मापने वाले उपकरणों की सटीकता क्या है और क्या यह डेटा विश्वसनीय है?”
वरिष्ठ अधिकारी शंकर नारायण ने अदालत को बताया कि कुछ स्थानों पर स्मॉग टावरों और एंटी-स्मॉग गनों की प्रभावशीलता भी संदेह में है। कोर्ट ने कहा कि
> “सिर्फ पानी छिड़काव और मशीनों के दिखावे से प्रदूषण नहीं रुकेगा।”
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कोर्ट ने सरकार से ठोस योजना मांगी
अदालत ने निर्देश दिया कि दिल्ली सरकार, केंद्रीय एजेंसियों और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर एक सख्त एक्शन प्लान बनाए, जिसमें—
ठोस कचरा प्रबंधन
सड़क पर उड़ती धूल को रोकने के उपाय
वाहन प्रदूषण नियंत्रण
औद्योगिक उत्सर्जन निगरानी
स्मॉग गन और टावर की कार्यक्षमता रिपोर्ट
जैसे बिंदुओं को शामिल किया जाए।
कोर्ट ने कहा कि अगले सुनवाई में AQI उपकरणों की वास्तविक क्षमता और उनके परीक्षण रिपोर्ट स्पष्ट रूप से पेश की जाए।
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SKR NEWS विश्लेषण
दिल्ली की हवा नवंबर आते-ही लगातार जहरीली हो रही है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश सिर्फ चेतावनी नहीं, बल्कि सरकार और एजेंसियों के लिए सीधी जवाबदेही तय करने की दिशा में बड़ा कदम है।
अब देखने वाली बात यह है कि सरकार अपने AQI सेंसर और नियंत्रण उपायों की पारदर्शी रिपोर्ट अदालत के सामने कैसे रखती है।