अश्वगंधा से आत्मनिर्भर भारत” — प्रतिष्ठा संस्था ने रचा जागरूकता का नया इतिहास
नई दिल्ली, देश की राजधानी में प्रतिष्ठा संस्था ने आयुर्वेदिक चेतना को नया आयाम देते हुए चौ. ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेदिक कॉलेज में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया। आयुष मंत्रालय के राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (NMPB) के सहयोग से आयोजित इस “अश्वगंधा राष्ट्रीय जागरूकता अभियान” ने किसानों, विद्यार्थियों और युवाओं में आयुर्वेद और औषधीय पौधों के प्रति नई सोच जगाई।
कार्यक्रम में कुल 178 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया — जिनमें 42 किसान, 158 विद्यार्थी, एवं प्रतिष्ठा संस्था व कॉलेज के सदस्य शामिल रहे। दीप प्रज्वलन और भगवान धन्वंतरि वंदना से प्रारंभ हुआ यह आयोजन, ज्ञान, शोध और नवाचार का एक सशक्त मंच साबित हुआ।
“अश्वगंधा — स्वास्थ्य से समृद्धि तक”
संस्था की अध्यक्ष सुश्री सोहिनी रोहिल्ला ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा —
> “अश्वगंधा केवल औषधि नहीं, बल्कि समाज की समृद्धि और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। इसकी बढ़ती मांग किसानों और युवाओं के लिए नए अवसरों का द्वार खोल रही है।”
विशेष अतिथि प्रो. (डॉ.) एम. बी. गौर, निदेशक एवं प्राचार्य, चौ. ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेद संस्थान को संस्था द्वारा शॉल, मोमेंटो, पुष्पगुच्छ और अश्वगंधा पौधा भेंट कर सम्मानित किया गया।
अपने आशीर्वचन में उन्होंने कहा —
> “भारत को फिर से आयुर्वेद की धरती बनाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। ऐसे आयोजन छात्रों और किसानों को एक साझा मंच प्रदान करते हैं, जहाँ ज्ञान और अनुभव का समागम होता है।”
ज्ञान और विज्ञान का संगम — टेक्निकल सेशन
कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में वक्ताओं ने अश्वगंधा के औषधीय, वैज्ञानिक और आर्थिक पहलुओं पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला —
डॉ. सुभाष साहू, विभागाध्यक्ष (द्रव्यगुण विभाग) ने PPT के माध्यम से बताया कि अश्वगंधा चिकित्सा, शिक्षा, शोध और कॉस्मेटिक उद्योग में नए अवसरों का द्वार खोल रही है।
डॉ. भारत भोयर, अतिरिक्त निदेशक (शैक्षणिक) ने किसानों को उन्नत खेती तकनीक अपनाने की प्रेरणा दी, जिससे वे स्वास्थ्य व आय दोनों में आत्मनिर्भर बन सकें।
डॉ. मोनिका शर्मा, सहायक आचार्य, ने युवाओं को औषधीय पौधों के स्टार्टअप से जुड़ने की प्रेरणा दी।
श्री कैलाश (KVK उजवा) ने कहा कि समूह आधारित खेती से निर्यात और प्रमाणन बाजार में किसानों की पहुंच आसान होगी।
‘फार्म टू सॉइल’ मॉडल से टिकाऊ खेती की दिशा में कदम
संस्था के सचिव श्री गिरीश शर्मा, ट्रस्टी श्री विनोद नागर और श्री मुकेश कुमार ने क्रमशः ‘फार्म टू सॉइल’ मॉडल, वैश्विक अवसरों और युवाओं के लिए औषधीय स्टार्टअप्स पर अपने विचार रखे।
उन्होंने बताया कि अश्वगंधा की मांग न केवल भारत बल्कि वैश्विक बाजार में तेज़ी से बढ़ रही है — यह किसानों और युवाओं दोनों के लिए नया आर्थिक भविष्य रच सकती है।
पोस्टर व ड्रॉइंग प्रतियोगिता ने बढ़ाया उत्साह
छात्रों में रचनात्मकता और आयुर्वेद के प्रति जुड़ाव बढ़ाने के लिए पोस्टर एवं ड्रॉइंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। विजेताओं को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र प्रदान किए गए, जिससे छात्रों में उत्साह और आत्मविश्वास का संचार हुआ।
समापन — “स्वस्थ भारत, समृद्ध भारत” का संकल्प
कार्यक्रम के अंत में पैनल चर्चा में औषधीय पौधों की खेती, मार्केटिंग, और किसानों की चुनौतियों पर गहन संवाद हुआ। सभी प्रतिभागियों को अश्वगंधा पौधे वितरित किए गए।
सामूहिक फोटोग्राफी और स्नेहभोज के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
प्रतिष्ठा संस्था का विश्वास है कि इस तरह की पहलें भारत को आयुर्वेद और औषधीय पौधों की खेती के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व दिलाने के साथ-साथ स्वस्थ, आत्मनिर्भर राष्ट्र के निर्माण में अहम भूमिका निभाएँगी।