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स्वच्छता में नई क्रांति — नगर निगम की जुबानी या ज़मीनी हक़ीक़त?

स्वच्छता में नई क्रांति — नगर निगम की जुबानी या ज़मीनी हक़ीक़त?

– रिपोर्ट: "सियासत का राज़" विशेष संवाददाता
दिल्ली नगर निगम (MCD) ने स्वच्छता अभियान के तहत एक नया मिशन — "मिशन क्लीन दिल्ली" शुरू किया है। इसके अंतर्गत दावा किया गया है कि नालों की समय पर सफाई, नियमित कर्मचारियों की तैनाती और ठोस कूड़ा प्रबंधन प्रणाली अब हर गली, हर मोहल्ले में दिखने लगी है। विज्ञापनों, सोशल मीडिया पोस्टों और प्रेस नोट्स में निगम का यह प्रयास राजधानी को साफ़ और स्वच्छ बनाने की दिशा में एक नई क्रांति के रूप में पेश किया जा रहा है।

लेकिन जब हम जमीनी स्तर पर हकीकत की पड़ताल करते हैं, तो तस्वीर कुछ और ही नजर आती है।

वास्तविकता: DDA कॉलोनियों तक सीमित है 'क्लीन दिल्ली' का असर

दिल्ली के कुछ चुनिंदा DDA कॉलोनियों में तो साफ़-सफाई की स्थिति ठीक दिखाई देती है, लेकिन बाकी कॉलोनियों में हालात बेहद चिंताजनक हैं। हरि इंक्लेव, अमन विहार, प्रेम नगर, बेगमपुर, विजय विहार, निहाल विहार जैसे इलाकों में कूड़े के ढेर, गंदे नाले और नदारद सफाई कर्मचारी आम तस्वीर है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि जब तक शिकायत न की जाए, तब तक न तो सफाई होती है, न ही कूड़ा उठाया जाता है। कई बार शिकायतों के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं होती। कहीं-कहीं तो सफाई कर्मचारी खुलेआम कहते हैं — “हम अपने हिसाब से काम करेंगे।”

सिर्फ निरीक्षण के दिन ही होती है सफ़ाई

कई इलाकों में सफाई व्यवस्था तभी सक्रिय नजर आती है जब कोई वरिष्ठ अधिकारी या निगम पार्षद का दौरा हो। बाकी दिनों में सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है। कई जगहों पर तो यह भी आरोप लगे हैं कि कुछ पार्षद और सफाई निरीक्षक "मैनेजमेंट" के खेल में उलझे हुए हैं, जिससे नियमित सफाई कार्य बाधित रहता है।

सख्ती की शुरुआत: रोहिणी और नजफगढ़ ज़ोन में औचक निरीक्षण

हालात की गंभीरता को देखते हुए अब सभी ज़ोन के डीसी (Deputy Commissioners) सख़्त हो गए हैं। रोहिणी और नजफगढ़ ज़ोन में डीसी द्वारा औचक निरीक्षण किए गए हैं, जिसमें लापरवाह कर्मचारियों को फटकार लगाई गई और चेतावनी दी गई कि लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

नगर निगम प्रशासन ने साफ़ कर दिया है कि अब सफाई को लेकर कोई समझौता नहीं होगा। जो कर्मचारी अपनी ड्यूटी से गायब पाए जाएंगे या कार्य में लापरवाही बरतेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

निष्कर्ष:
एक ओर दिल्ली नगर निगम स्वच्छता की क्रांति का दावा कर रहा है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हक़ीक़त यह है कि सिर्फ कुछ चुनींदा इलाकों तक ही यह अभियान सीमित है। अगर वास्तव में "मिशन क्लीन दिल्ली" को सफल बनाना है, तो सिर्फ़ कागजों पर नहीं बल्कि हर गली, हर बस्ती में ईमानदारी से अमल करना होगा।

जनहित में यह सवाल पूछना जरूरी है:
क्या सफाई अभियान सिर्फ़ प्रचार और दिखावे के लिए है, या वाकई दिल्ली की हर कॉलोनी तक यह "क्रांति" पहुँचेगी?

यदि आप भी अपने इलाके में सफ़ाई को लेकर किसी समस्या का सामना कर रहे हैं, तो हमें लिखें — आपकी आवाज़ को हम जिम्मेदारों तक पहुँचाएंगे।
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