सर्विस रोड पर "अतिक्रमण का कारोबार" — रिश्वत के आगे विभाग ने दिखाई 'हरी झंडी'
स्थान: रोहिणी सेक्टर 17, मेन रोड A-3/220, दिल्ली
रिपोर्ट: Siyasat Ka Raaz स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम
दिल्ली के रोहिणी सेक्टर 17 में एक बार फिर नगर निगम की भ्रष्ट व्यवस्था और मिलीभगत की पोल खुल गई है। A-3/220 पर स्थित एक बिल्डिंग ने न सिर्फ सर्विस लाइन पर कब्जा किया है बल्कि उस पर स्थायी कमर्शियल दुकानों का निर्माण कर दिया गया है।
सड़क पर दुकानें, राहगीरों के लिए कोई जगह नहीं
इस अतिक्रमण की परतें और भी चौंकाने वाली तब हो जाती हैं जब देखा जाता है कि बिल्डिंग से बाहर सड़क की सरकारी ज़मीन पर शटर लगाए गए हैं, और वह भी छज्जे के नीचे – यानी साफ तौर पर नियमों की धज्जियाँ उड़ाकर। यहाँ राहगीरों के चलने के लिए फुटपाथ तो दूर, खड़ा होना तक मुश्किल हो गया है।
नगर निगम के जेई-एई बने मूक दर्शक या 'हिस्सेदार'?
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह सब नगर निगम के जेई और एई की मिलीभगत से हुआ है। जब ‘सर्विस लाइन’ जैसी संवेदनशील जगह पर कमर्शियल एक्टिविटी बिना प्रशासनिक सहयोग के नहीं चल सकती, तो सवाल उठता है — क्या जेई और एई की जेबें इस अवैध निर्माण के बदले गर्म हुई हैं?
सोने पे सुहागा: अतिक्रमण पर अतिक्रमण
पहले सर्विस रोड पर कब्जा, फिर उस पर कमर्शियल निर्माण, और अब उन दुकानों के आगे भी ठेलों और फूड स्टॉल्स की कतारें — यह पूरा इलाका 'अतिक्रमण पर अतिक्रमण' का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है।
मुकदमा या संरक्षण? प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
स्थानीय प्रशासन की चुप्पी इस बात की पुष्टि करती है कि या तो अधिकारी अंधे हैं, या जानबूझकर आँखें मूँदे बैठे हैं। सवाल है — क्या इस अतिक्रमण पर कभी कार्रवाई होगी? या फिर ये भी दिल्ली के उन हजारों मामलों में शामिल हो जाएगा जहाँ "रिश्वत की हरी झंडी" के आगे कानून ठिठक जाता है?