दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार का विस्फोटक पर्दाफाश
SHO सुभाष प्लेस महेश कसाना लाइन हाजिर, रोहिणी नॉर्थ के SHO और SI रिश्वत में फंसे — पुलिस कमिश्नर का ताबड़तोड़ एक्शन
रिपोर्ट: (एस के आर न्यूज)
दिल्ली पुलिस में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक के बाद एक बड़ी कार्रवाइयों से साफ हो गया है कि पुलिस कमिश्नर एसबीके सिंह अब किसी भी सूरत में रिश्वतखोरी को बर्दाश्त नहीं करने वाले। हालिया घटनाओं ने पुलिस महकमे की काली सच्चाई को उजागर कर दिया है।
--- 40,000 की रिश्वत में SI रंगे हाथ पकड़ा गया, SHO सस्पेंड
रोहिणी नॉर्थ थाने के सब-इंस्पेक्टर विजय सिंह को 40,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए CBI ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि SI विजय सिंह ने अग्रिम जमानत और गिरफ्तारी से राहत दिलाने के नाम पर 50,000 रुपये मांगे थे। बातचीत के बाद सौदा 40,000 में तय हुआ और CBI ने ट्रैप लगाकर उसे पकड़ लिया।
इस सनसनीखेज खुलासे के बाद उत्तरी रोहिणी के SHO इंस्पेक्टर खालिद हुसैन को भी सस्पेंड कर दिया गया। विभागीय जांच शुरू हो चुकी है।
--SHO सुभाष प्लेस महेश कसाना लाइन हाजिर — पुरानी जांच में भी था नाम
उधर, सुभाष प्लेस थाने के SHO महेश कसाना को भी लाइन हाजिर कर दिया गया है। यह वही अधिकारी हैं जिनका नाम विधानसभा चुनाव के दौरान CBI रेड में सामने आया था, जब एक हेड कांस्टेबल गिरफ्तार हुआ था। उस समय रसूख के चलते वह कार्रवाई से बच गए थे, लेकिन अब पुलिस कमिश्नर की नई नीति में कोई ‘बचाव’ की गुंजाइश नहीं।
--- क्या SHO और SI की मिलीभगत थी?
CBI सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार SI विजय सिंह, SHO खालिद हुसैन का करीबी माना जा रहा है। यह रिश्ता जांच की दिशा को और गंभीर बनाता है। माना जा रहा है कि सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरी चेन ऑफ करप्शन की पड़ताल अब तेज़ की जाएगी।
--- थानों में भ्रष्टाचार की जड़ें क्यों गहरी हो रही हैं?
पुलिस महकमे के अंदरूनी सूत्र मानते हैं कि SHO की सीमित पोस्टिंग अवधि (3 साल) एक बड़ी वजह है। जब अधिकारियों को लगता है कि जल्द ट्रांसफर होना है, तो वह सेवा के बजाय निजी लाभ के रास्ते खोजने लगते हैं।
--- पुलिस कमिश्नर का साफ संदेश: “Zero Tolerance on Corruption”
पुलिस कमिश्नर एसबीके सिंह ने विजिलेंस यूनिट और सभी DCPs को सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार पाए जाने पर तुरंत एक्शन हो — चाहे वह SHO हो, SI हो या कोई और।
--- नागरिकों और एजेंसियों की भूमिका अहम
इस घटनाक्रम ने यह नागरिकों और स्वतंत्र जांच एजेंसियों की सक्रियता से ही कानून का राज कायम रह सकता है।
--- यह रिपोर्ट बताती है कि अब दिल्ली पुलिस में “प्रोटेक्शन फॉर करप्शन” नहीं, बल्कि “एक्शन फॉर जस्टिस” का दौर शुरू हो चुका है।