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दिल्ली पुलिस को मिली नई कमान: एसबीके सिंह की सख्त कार्यशैली से कांपेगा संगठित अपराध जगत


 
दिल्ली पुलिस को मिली नई कमान: एसबीके सिंह की सख्त कार्यशैली से कांपेगा संगठित अपराध जगत

रिपोर्ट: सियासत का राज़ न्यूज संवाददाता | नई दिल्ली

दिल्ली, एक ऐसा शहर जो राजनीतिक राजधानी ही नहीं, बल्कि देश की आपराधिक हलचलों का भी केंद्र रहा है। लेकिन अब दिल्ली पुलिस को एक ऐसा मुखिया मिला है जो न केवल सिस्टम को भीतर से समझता है, बल्कि माफिया और संगठित गिरोहों की नस पकड़ने में माहिर है। जी हां, हम बात कर रहे हैं सीपी एसबीके सिंह की, जिन्होंने राजधानी की कमान संभाल ली है।
अनुभव की धार से अपराध पर प्रहार
एसबीके सिंह 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और उनका कड़ा अनुशासन, प्रशासनिक पकड़ और साइबर/आधुनिक अपराधों पर मजबूत नियंत्रण का लंबा रिकॉर्ड है। दिल्ली जैसे जटिल माहौल में उनके अनुभव का आना, सिर्फ एक तबादला नहीं बल्कि क्राइम कंट्रोल के एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है।

संगठित अपराधियों की शामत तय
सिंह का दिल्ली में आना खास इसलिए भी है क्योंकि उन्हें उत्तराखंड पुलिस में रहते हुए माफिया सफाई अभियान का जनक माना गया है। अब दिल्ली की गलियों से लेकर ऑनलाइन ठगी गैंग तक, हर अपराधी को अपनी जमीन खिसकती नजर आएगी।

आधुनिकीकरण और रणनीति दोनों पर फोकस
सिर्फ बंदूकें नहीं, अब तकनीक होगी दिल्ली पुलिस की असली ताकत। एसबीके सिंह ने बताया कि अब पुलिसिंग ई-गवर्नेंस, लाइव रिपोर्टिंग, मोबाइल-फ्रेंडली सिस्टम और डिजिटल कनेक्टिविटी के जरिए आम नागरिकों तक पहुंचेगी। दिल्ली पुलिस का e-सारथी पोर्टल, e-समाधान एप और सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स अब और एक्टिव रूप में अपराध से लड़ाई का हिस्सा होंगे।

पुलिस वेलफेयर में भी सिंह का विजन
जहां आमतौर पर पुलिस सुधार सिर्फ अपराध नियंत्रण तक सीमित रहता है, वहीं एसबीके सिंह पुलिस बल के मानव पक्ष को भी उतनी ही प्राथमिकता देते हैं। पुलिस वेलफेयर से जुड़े मुद्दे, तनाव प्रबंधन, परिवारिक सहयोग योजनाएं और सुविधाएं अब उनकी नजर में प्रमुख रहेंगी।

 'दूसरा नाम: बदलाव'
पुलिस महकमे में उन्हें दूसरा नाम ‘बदलाव’ कहा जाता है। उनके आने से सिर्फ अपराध ही नहीं, पुलिसिंग की सोच भी बदलेगी। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही दिल्ली में सड़कों से लेकर थानों तक एक नई प्रणाली लागू हो सकती है – जिसमें पारदर्शिता, जवाबदेही और तकनीकी दक्षता की त्रिमूर्ति होगी।

 क्या बदलेगी राजधानी की तस्वीर?
अब बड़ा सवाल ये है कि क्या एसबीके सिंह उस दिल्ली को फिर से सुरक्षित बना पाएंगे जहां लोग देर रात घर लौटने में भी घबराते नहीं थे? क्या संगठित अपराध का गला वाकई घुटेगा? आने वाले महीनों में ‘सियासत का राज़’ इन सवालों के जवाब ट्रैक करता रहेगा।

 नज़र सियासत की, नज़रिया आपका
 जुड़ें हमारे साथ और जानिए असल मायनों में सिस्टम कैसे बदलता है...

(© सियासत का राज़ न्यूज़)
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