स्पेशल एक्सपोज़: एमसीडी बेलदारों का रिश्वतखोर नेटवर्क – अवैध निर्माण और अतिक्रमण हटाने का गुप्त खेल बेनकाब
नई दिल्ली: राजधानी में स्वच्छता अभियान और अतिक्रमण मुक्त दिल्ली के दावों के बीच एमसीडी के बेलदारों की रिश्वतखोरी और बिचौलिया नेटवर्क का बड़ा खुलासा हुआ है। ये बेलदार पुलिस और विभागीय अधिकारियों की कार्रवाई से पहले ही अवैध कब्जाधारकों को सतर्क कर देते हैं, जिससे निगम की कार्यवाही नाकाम हो जाती है।
कैसे चलता है खेल?
अधिकारियों का आदेश आते ही बेलदार सक्रिय – पुलिस फोर्स कब मिलेगी, इसकी पूरी जानकारी बेलदारों को पहले ही होती है।
अतिक्रमण हटाने से पहले सूचना लीक – जैसे ही कार्रवाई का समय तय होता है, बेलदार अतिक्रमणकारियों को अलर्ट कर देते हैं।
फर्जी रिपोर्टिंग का खेल – अधिकारी आते हैं तो इलाके को पहले से साफ कर दिया जाता है, अवैध निर्माण रोक दिए जाते हैं। बाद में रिश्वत लेकर सब कुछ वैसा ही शुरू करवा दिया जाता है।
बीट पुलिस और बेलदार की मिलीभगत
स्थानीय पुलिस के कुछ कर्मी और एमसीडी बेलदार मिलकर डर का माहौल बनाते हैं और उगाही के नाम पर दलाली करते हैं। कई बार पुलिस फोर्स की तैनाती रोकने तक की कोशिश की जाती है, जिससे निगम के अधिकारी कार्रवाई न कर पाएं।
बाहरी बेलदारों और फर्जी सेवकों का नेटवर्क
कई बेलदार अपने नाम से बाहरी गुर्गों को सेवक बनाकर इलाके में छोड़ देते हैं, जिनका मकसद सिर्फ वसूली करना है।
खतरनाक हकीकत: रोहिणी जोन भी इस जाल में
रिश्वतखोरी का ये नेटवर्क अब रोहिणी ज़ोन, बाहरी दिल्ली और रोहिणी डिस्ट्रिक्ट में तेजी से फैल चुका है।
विशेष सुझाव (Action Plan):
✔ कार्रवाई के समय लोकल पुलिस पर निर्भरता खत्म करें, सीआरपीएफ जैसी तटस्थ फोर्स लगाएं।
✔ हर बीट बेलदार और स्टाफ को 3-4 महीने में बदलना अनिवार्य करें।
✔ कार्रवाई की गोपनीयता बढ़ाएं, ताकि जानकारी लीक न हो।
✔ बेलदारों और बिचौलियों की निगरानी सीधा उच्च अधिकारियों के हाथ में हो।
मुख्य सवाल:
बीट सेवक सेवक हैं या उगाही के दलाल?
अगर ये काली कमाई का खेल नहीं रुका, तो स्वच्छता अभियान और अतिक्रमण हटाओ योजना सिर्फ कागजों में रह जाएगी।
रिपोर्ट: SKR NEWS