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SKR News विशेष प्रस्तुति"जब परिंदों ने सिखाया इंसान को इंसानियत..."

SKR News विशेष प्रस्तुति
"जब परिंदों ने सिखाया इंसान को इंसानियत..."
✍️ राशिद चौधरी
(दिल्ली से)

> "ना रंग देखा, ना जात पूछी, ना कोई शर्त रखी — बस मिल बैठकर खा लिया..."
ये दृश्य किसी मंदिर, मस्जिद या महल का नहीं था — ये तो एक सड़क किनारे बिखरे कुछ दानों की चौपाल थी।

सुबह की सुनहरी किरणें ज़मीन पर गिर रहीं थीं और वहां दानों पर टूटे पड़ रहे थे — कबूतर, कौए, गिलहरियाँ, नन्हीं चूड़ियाँ और कुछ छोटे चूहे। न कोई डर, न कोई झगड़ा।
सबने मिलकर पेट भरा।
भूख ने भाषा, प्रजाति और शक्ल की दीवारें गिरा दी थीं।

और वहीं खड़े-खड़े मैं सोचने लगा —
क्या हम इंसान कभी ऐसा कर पाएंगे?
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     कुदरत की पाठशाला
इन बेजुबानों ने वो सिखा दिया जो शायद स्कूलों की किताबें नहीं सिखा पाईं।
इनके लिए कोई ऊँच-नीच नहीं, कोई धर्म-जात नहीं — सिर्फ पेट की भूख और साथ बैठने का हौसला।

> "हम तो इंसान हैं, फिर इतनी नफरत क्यों?
किसी गरीब की थाली में दाना डालने से पहले हिचक क्यों?"
जब एक छोटा 'अनदाता' रोज़ इन जानवरों के लिए दाना डालता है,
तो उसके हाथों से दुआएं बहती हैं — बिना कहे, बिना मांगे।

---भूख — सबसे बड़ी समानता

इंसान के पास शब्द हैं, पर भावना नहीं।
कितनी बार किसी बच्चे को भूखा देख हम नज़रें फेर लेते हैं?
कितनी बार किसी बूढ़ी अम्मा को ठंड में कांपते देखा और कह दिया — “सरकार देखेगी।”
क्यों हम यह भूल गए कि एक वक़्त हम भी उसी ज़रूरत के मोड़ पर आ सकते हैं?
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कुदरत की रचना — और उसका रहस्य

क्या आपने कभी सोचा कि अगर आंखें, पैर, या दिल जैसा कोई अंग खराब हो जाए — तो दुनिया भर की दौलत भी उसे पहले जैसा नहीं बना सकती?
ये वही कुदरत है जिसने हमें अनमोल शरीर और दिल दिया — पर क्या हमने उसका इस्तेमाल सही किया?

> "जिसके पास सब कुछ है, वो अगर किसी के कुछ काम न आए,
तो उससे बड़ा गरीब कोई नहीं।"
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बनिए किसी के 'अदृश्य पुण्य'
आपका छोटा सा कदम —
✅ एक भूखे को खाना
✅ किसी का इलाज
✅ किसी बच्चे की फीस
✅ या एक गर्म कम्बल
— ये सब पुण्य की वो पूंजी है जो कल आपको संकट में सहारा दे सकती है।

क्योंकि जब कुदरत देता है, तो हिसाब नहीं रखता — और जब लेता है, तब चेतावनी भी नहीं देता।
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चलते-चलते — एक सवाल आपसे
जब एक कौआ, कबूतर और गिलहरी साथ बैठकर बिना भेदभाव भोजन कर सकते हैं,
तो क्या इंसान कभी इंसान से ऐसा प्रेम कर पाएगा?
क्या हम अपने भीतर का इंसान जगा पाएंगे?
क्या हम किसी के "भूखे पेट" की आवाज़ को सुन पाएंगे?
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अगर ये सवाल आपके ज़मीर को झकझोर सके,
तो उठिए, आज किसी की भूख मिटाइए।
शायद वो भूख, आपकी आत्मा की भी हो।
🕊️
इंसानियत जिंदा रहे — यही मकसद है SKR News का।

✍️ राशिद चौधरी
SKR News, दिल्ली
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