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अनधिकृत निर्माण पर उप-मंडल मजिस्ट्रेट पंजाबी बाग का बड़ा आदेश: शहरी भूमि पर कृषि भूखंडों की बिक्री और निर्माण पर कसा शिकंजा, एमसीडी को विध्वंस का निर्देश

अनधिकृत निर्माण पर उप-मंडल मजिस्ट्रेट पंजाबी बाग का बड़ा आदेश: शहरी भूमि पर कृषि भूखंडों की बिक्री और निर्माण पर कसा शिकंजा, एमसीडी को विध्वंस का निर्देश

नई दिल्ली, नांगलोई (विशेष संवाददाता) — दिल्ली के नांगलोई जाट गांव की शहरीकृत कृषि भूमि पर अनधिकृत कॉलोनियों के निर्माण और बिक्री पर बड़ा प्रशासनिक एक्शन सामने आया है। उप-मंडल मजिस्ट्रेट (एसडीएम), पंजाबी बाग कार्यालय द्वारा जारी आदेश में एमसीडी को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वह बिना अनुमति किए गए सभी निर्माणों के खिलाफ विध्वंस की कार्रवाई करे।
यह आदेश श्री अनिल कुमार द्वारा दायर रिट याचिका और उसके आधार पर माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों के अनुपालन में पारित किया गया है।

मामले की पृष्ठभूमि:

याचिकाकर्ता श्री अनिल कुमार ने आरोप लगाया था कि तिरुपति ट्रेडिंग कंपनी और अन्य (प्रतिवादी संख्या 2 से 6) द्वारा नांगलोई जाट की कृषि भूमि पर गैरकानूनी ढंग से प्लॉट बेचने और अवैध निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। जबकि, यह भूमि कानूनी रूप से केवल कृषि उपयोग के लिए अनुमत है। याचिकाकर्ता ने दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम, 1954 की धारा 81 के अंतर्गत इन पर कार्रवाई की मांग की थी।

हालांकि, यह भूमि 2017 में शहरी घोषित की जा चुकी है, और अब इस पर दिल्ली भूमि सुधार अधिनियम लागू नहीं होता। यह स्थिति सुप्रीम कोर्ट के "मोहन सिंह बनाम नारायण सिंह" फैसले से भी स्पष्ट होती है।

SDM कार्यालय की प्रमुख टिप्पणियां:

एसडीएम दीपक पुंडीर (DANICS) द्वारा हस्ताक्षरित आदेश में निम्नलिखित मुख्य बिंदु शामिल हैं:

संबंधित खसरा नंबरों (जैसे 6//15/2, 16, 17/1 आदि) पर बिना अनुमति निर्माण की पुष्टि MCD और DDA की रिपोर्ट में की गई।

एमसीडी के रोहिणी जोन के सहायक अभियंता की रिपोर्ट में यह कहा गया कि कोई मंजूरी नहीं दी गई है।

डीडीए के उप निदेशक (एलएम) द्वारा बताया गया कि निर्माण के लिए किसी प्रकार की अनुमति जारी नहीं की गई।

प्रतिवादी पक्षों को बार-बार नोटिस भेजने के बावजूद कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ।

 एसडीएम का आदेश:

> "यह स्पष्ट है कि यह शहरी भूमि है और उस पर बिना अनुमति के निर्माण कार्य अवैध है। अतः दिल्ली नगर निगम को निर्देशित किया जाता है कि वह दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 के अंतर्गत विध्वंस की प्रक्रिया अपनाए।"


इसके साथ ही सभी संबंधित पक्षों को आदेश की प्रतिलिपि भेज दी गई है, जिसमें एमसीडी, डीडीए, SHO राज पार्क पुलिस थाना, और अन्य संबंधित अधिकारी शामिल हैं।

 प्रशासनिक प्रतिक्रिया:

एसडीएम दीपक पुंडीर (DANICS), पंजाबी बाग, ने संवाददाता से बातचीत में कहा:

> "यह आदेश माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में पारित किया गया है। किसी भी शहरी भूमि पर बिना वैध अनुमति निर्माण करना कानूनन अपराध है और इससे दिल्ली में अव्यवस्थित शहरीकरण को बढ़ावा मिलता है। हमारा प्रयास है कि इस तरह के मामलों में पारदर्शिता और सख्ती से कार्रवाई की जाए।"

  क्या है आगे की प्रक्रिया?

एमसीडी अब अवैध निर्माणों की पहचान और विध्वंस की प्रक्रिया शुरू करेगी।

पुलिस और डीडीए की सहायता से निर्माणकर्ताओं के खिलाफ संभावित कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।

याचिकाकर्ता ने आगे की अपीलों और कार्रवाई की संभावनाओं को भी खुले रखा है।
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