रोहिणी सेक्टर-7 में बड़ा हादसा: तीन मंजिला इमारत धराशायी, अवैध निर्माण और लापरवाही से मचा कोहराम
अधिकारियों के मुताबिक कोई हताहत नहीं हुआ
गनीमत रही इस घटना में किसी की जान नहीं गई बड़ा हादसा होते होते बचा
दिल्ली के रोहिणी सेक्टर-7 स्थित पॉकेट D-12/114 में दोपहर एक तीन मंजिला पुरानी इमारत अचानक धराशायी हो गई, जिससे पूरे इलाके में अफरातफरी मच गई। हादसा उस समय हुआ जब इमारत में अवैध निर्माण का कार्य चल रहा था और मजदूर काम कर रहे थे।
स्थानीय लोगों ने बताया कि गिरती हुई इमारत की गूंज इतनी तेज़ थी कि आसपास के लोग घरों से बाहर निकल आए। सूचना मिलते ही दमकल विभाग और आपदा राहत टीम मौके पर पहुंची और बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। बताया जा रहा है कि मलबे के नीचे कई मजदूरों के दबे होने की आशंका है।
क्या है हादसे की असली वजह?
सूत्रों के अनुसार यह हादसा किसी प्राकृतिक कारण से नहीं, बल्कि खुली लापरवाही और अवैध निर्माण की वजह से हुआ है। यह एक पुरानी इमारत थी, जिसकी नींव कमजोर थी, लेकिन इसके बावजूद निचली मंज़िलों पर अवैध दुकानें बनाई गई थीं और ऊपर लगातार नए माले जोड़े जा रहे थे।
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि MCD को इस अवैध निर्माण की जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इमारत के बेसमेंट और ऊपरी मंज़िलों में लगातार बदलाव किए जा रहे थे, जिससे संरचना की मजबूती पर गंभीर असर पड़ा।
नजदीकी मकानों की सुरक्षा भी खतरे में
हादसे के बाद अब सवाल यह उठ रहा है कि जिस प्रकार इस इमारत में नियमों को ताक पर रखकर निर्माण कार्य किया गया, क्या उसी प्रकार की और भी इमारतें आस-पास खड़ी हैं जो भविष्य में बड़ा खतरा बन सकती हैं?
क्या होगी कार्रवाई?
यह हादसा न सिर्फ एक इमारत गिरने की कहानी है, बल्कि यह एक सिस्टम की विफलता की गवाही भी देता है। सवाल यह भी उठता है कि क्या MCD, लोकल प्रशासन और संबंधित अधिकारियों पर कोई कार्रवाई होगी या यह मामला भी कागज़ों में दबा दिया जाएगा?
जनता की मांग – सख्त कार्रवाई और पारदर्शी जांच
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इस दुर्घटना की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए और जो भी व्यक्ति, ठेकेदार या अधिकारी इसमें लिप्त हैं उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कड़े नियम लागू किए जाएं।
निष्कर्ष
यह हादसा हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि लालच और लापरवाही जब कानून से ऊपर हो जाए तो नतीजा केवल बर्बादी और मौत होता है। अब वक्त आ गया है कि प्रशासन नींद से जागे और नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे।