रात्रि के सन्नाटे में सक्रियता: नजफगढ़ डीसी संतोष कुमार राय का द्वारका सेक्टर 6 बाजार में औचक निरीक्षण, सफाई व्यवस्था की खोली पोल
राशिद चौधरी की खास रिपोर्ट
(एस के आर न्यूज)
द्वारका, दिल्ली – राजधानी में जब अधिकतर लोग दिनभर की थकान के बाद गहरी नींद में होते हैं, तब भी कुछ अधिकारी जनहित को लेकर जागरूक और सक्रिय रहते हैं। ऐसा ही उदाहरण देखने को मिला बीती रात, जब नजफगढ़ ज़ोन के डीसी (डिप्टी कमिश्नर) श्री संतोष कुमार राय ने द्वारका सेक्टर-6 के व्यस्त बाजार का रात्रिकालीन औचक निरीक्षण किया।
इस निरीक्षण की न तो पहले से कोई सूचना थी और न ही कोई विशेष तैयारी—और शायद इसी कारण सफाई विभाग सहित अन्य ज़िम्मेदार इकाइयों में हड़कंप मच गया। जगह-जगह गंदगी, कूड़े के ढेर, और अधूरी सफाई व्यवस्था सामने आई।
साफ़-सफ़ाई की असल तस्वीर
सेक्टर-6 बाजार, जो दिन में हजारों खरीदारों और व्यापारियों से गुलजार रहता है, रात के समय पूरी तरह सफाई कर्मचारियों और नगर निगम की ज़िम्मेदारी में होता है। लेकिन श्री राय के अचानक निरीक्षण में जो स्थिति सामने आई, वह बेहद चिंताजनक थी—कई स्थानों पर कूड़ेदान ओवरफ्लो थे, फुटपाथों पर कचरा बिखरा पड़ा था और कुछ स्थानों पर तो कचरे से बदबू आ रही थी।
अधिकारियों को लगाई फटकार
डीसी संतोष कुमार राय ने मौके पर मौजूद अधिकारियों को फौरन तलब किया और सख्त लहजे में जवाब तलब किया। उन्होंने कहा, "रात्रिकालीन सफाई व्यवस्था केवल कागज़ों पर नहीं होनी चाहिए, बल्कि ज़मीनी स्तर पर इसका असर दिखना चाहिए। दिल्ली जैसे महानगर में इस प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।"
जनहित को प्राथमिकता
यह निरीक्षण यह भी दर्शाता है कि प्रशासन अब केवल दिन में नहीं, बल्कि हर पल जनहित से जुड़ी ज़रूरतों को प्राथमिकता देने के लिए संकल्पित है। डीसी द्वारा रात में बाजार क्षेत्रों का निरीक्षण करना अपने आप में एक मिसाल है, जिससे अन्य क्षेत्रीय अधिकारियों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए।
स्थानीय व्यापारियों और निवासियों ने जताई सराहना
स्थानीय व्यापारियों और रहवासियों ने डीसी के इस कदम का स्वागत किया है। एक दुकानदार ने कहा, "हम कई बार शिकायत कर चुके थे, लेकिन यह पहली बार है कि कोई आला अधिकारी खुद रात में आकर हालात देख गया। हमें उम्मीद है कि अब व्यवस्था में सुधार होगा।"
निष्कर्ष
नजफगढ़ डीसी श्री संतोष कुमार राय का यह औचक निरीक्षण केवल एक कार्रवाई नहीं, बल्कि एक संदेश है—कि जनसेवा में लापरवाही की कोई जगह नहीं। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस प्रकार की कड़ाई से व्यवस्था में पारदर्शिता और ज़िम्मेदारी बढ़ेगी, जिससे दिल्ली के नागरिकों को एक स्वच्छ और व्यवस्थित वातावरण मिल सकेगा।